असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

लगता है की इश्क मेरा अब।

 करना चाहूं कितना भी गलत

ज़मीर खबरदार ही कर देगा।
लगता है की इश्क मेरा अब
मुझे बरबाद ही कर देगा।

करने से नहीं ग़ालिब यहां
कहने से ही बदनाम होगा
गलियां इश्क की है "दरिया"
आगाज से ही अंजाम होगा।

रिश्ते की सीमायें तो सिर्फ
हमे ही पता है साहब
दूर से देखने वाला यहां
जाने क्या क्या इल्जाम देगा।
"दरिया"

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