असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

बस भाव बदल गये हैं।

 ओ बातें अब नहीं होती

न प्लीज़ प्लीज़ न सॉरी
न ऑनलाइन होने की चिंता
न गुड नाईट की बारी
न लफड़े न झगड़े
न दोस्ती न यारी।
रह गयी तो बस उदास
जिंदगी और समझदारी
न मॉर्निंग वॉक पे आना
न घंटों बतियाना
न चिढ़ना न चिढ़ाना
बस पैसे की बात और
तनख्वाह सारी।
रिस्ते भी वही हैं
बस भाव बदल गये हैं
पहले बातों बातों
जितना भाव खाते थे
उतना तो सुबह उठ
कर अब कुल्ला करते हैं
बचपन छूट गया
पड़ गयी जवानी भारी।
"दरिया"

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