असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

जिंदगी का बोझ अब मुझसे ढोया नही जाता |



जिंदगी का बोझ अब मुझसे ढोया नही जाता

सूख चुके आंशु की अब रोया नही जाता |


उतर गया भूत सर से मेरे अपनों का भी

कि अपनों के लिए बीज बोया नही जाता |

 

जिंदगी का अरमान तो सिर्फ तोड़ती पत्थर है

मार कर खुद को खुद से अब रोया नहीं जाता |

 

कीचड़ ही कीचड़ हो जहाँ कमल खिला करते थे

जरुरत से ज्यादा खुद को डुबोया नही जाता |

 

मिट चुकी लकीरें हाथों से किस्मत की कोरोना

कि बार - बार हाथों को मुझसे धोया नहीं जाता |

 

वादा था एक उम्र साथ निभाने का

इतना जल्दी मुझसे किसी को खोया नहीं जाता |

 

गर लायक है जिंदगी जीने की तो जियो दरिया

हर किसी के कंधे पे सर रख के रोया नहीं जाता |

 

गर तुम्हारी है तो तुम्हारी होकर ही रहेगी 

हर दर को आंशुओं से भिगोया नहीं जाता |

          “दरिया”


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