किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

रूह-ए-जिस्म


 

रूह  जिस्म  के  आगे  हार ही जाता है

रूह लाने कहां डोलिया कंहार जाता है।


कोई चाहे तुम्हें और चाहता ही रहे

इस ज़माने में कौन दे उपहार जाता है।


ओ कहते हैं कि बदलना प्रकृत का नियम है

इसीलिए तो दिल हर दिल के द्वार जाता है।


मासूम तो हर कोई यहां है दरिया

देखना, कौन छुआ के तलवार जाता है।


वादा रुलाने का कभी किया नहीं किसी ने

फिर भी आंशुओं के आगे हार जाता है।



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