असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

और कितना प्यार करे कोई।


 हालात से कितना लड़े कोई

और कितना प्यार करे कोई।


सारे रिश्ते ही दीवार बन गये

इन्हें कितना तोड़ता रहे कोई।


खोना भी नहीं, पाना भी नहीं

इस भंवर में कबतक रहे कोई।


वादा है, इक बार हम मिलेंगे

फ़क़त वादे संग कैसे रहे कोई।


न मैसेज न ही अब बात कोई

घुट - घुट के कैसे जिये कोई।

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