असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

बस करवटों में गुजरती हर रात जिंदगी।

 


घुटन सी होती है अब तेरे साथ ज़िन्दगी

जी चाहता है छोड़ दूं कायनात जिंदगी।


पग - पग गर छलने का ही रिवाज़ है यहाँ

जी चाहता है मिटा दूं  हर पाथ जिंदगी।


तेरे संग आंखों ने देखे जो ख्वाब मेरी जान

देखो न किस क़दर गुजरती हर रात जिंदगी।


पहली भी तुम और आखिरी भी तुम्हीं थी

न समझ सकी तुम इत्ती सी बात जिंदगी।


बिरह का एक पल एक बरस स लगता है

क्यूं छोड़ गयी तुम ऐसे हालात में जिंदगी।


सुलाने और जगाने भी कोई नहीं आता

बस करवटों में गुजरती हर रात जिंदगी।


मेरी होकर भी तुम मेरी नहीं हो सकती

देख ली मैंने विवशता-की-साख जिंदगी।


         "दरिया"


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