हजार कोशिशें ज़माने की नाकाम हो जायेगी


हजार कोशिशें ज़माने की नाकाम हो जायेगी

जिस दिन मोहब्बत मेरी बेनकाब हो जायेगी।


खुद को नहीं रोक पायेगी

जब दर्द मोहब्बत बन जायेगी।

दिल में तड़प इतनी होगी इधर

की आग उस तरफ भी लग जायेगी।

या तो खुद दौड़ी चली आयेगी

या आँशुओं के समंदर में डूब जायेगी।


ये जमाना यूं ही हाथ मसलता रह जायेगा

जिस दिन मौत मेरी मोहब्बत बन जायेगी।

          "दरिया"

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