असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   


मांगा ही क्या था जो इनकार कर दिया

हाथों की लकीरों पर ही वार कर दिया।


गम  ही  तो  है जहां में जो सिर्फ मेरा है

वक्त  पर  ही  सबने  इतवार कर दिया।


दिन  गुजरने  की  बात  करते हो जनाब

रातों का होना भी यहां दुस्वार कर दिया।

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