मांगा ही क्या था जो इनकार कर दिया

हाथों की लकीरों पर ही वार कर दिया।


गम  ही  तो  है जहां में जो सिर्फ मेरा है

वक्त  पर  ही  सबने  इतवार कर दिया।


दिन  गुजरने  की  बात  करते हो जनाब

रातों का होना भी यहां दुस्वार कर दिया।

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