असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

कभी तो याद मुझे भी करोगी।

 


कभी तो याद मुझे भी करोगी

देखूंगा फिर कैसे तुम रहोगी।


समझता हूँ कि जान हो मेरी

कभी तो मुझे आप समझोगी


समझोगी जान जिस दिन मुझे

देखूंगा कैसे जान के बगैर रहोगी।


लत तुम्हारी है जो मुझको सनम

आज दर- ब- दर मैं भटकता हूँ


हो जाएगी जिस दिन लत हमारी

देखूंगा जितनी सयंमित रहोगी।


मज़बूर हूँ आज अपने दिल की 

बेवजह सूनसान चाहतों से सनम


एक बार इश्क़ तुम्हे भी हो जाये

देखूंगा कैसे महबूब के बगैर रहोगी।

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