असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

कहां लिखा है।

बिछड़ कर तुमसे तेरा होना कहां लिखा है

मेरी किस्मत में अब सोना कहां लिखा है।


चाहो  तो  गलियां मेरी भी रोशन हो जाये खुदा

वरना अंधेरे को उजाले का होना कहां लिखा है।


कही  थी  बगैर  मेरे  मर   तो   नहीं  जाओगे

मेरी हालात पर तुम्हें अब रोना कहां लिखा है।


मोती  की  तरह  जो  आज बह रहे हो अश्क़

मेरी आँखों का तेरा अब होना कहां लिखा है।


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