असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

उतरते गये उसके तन से कपड़े सारे।


 उसकी यादों का बाज़ार बहुत गरम था

बदन का कोना कोना बहुत ही नरम था

उतरते गये उसके  तन  से  कपड़े  सारे

शाम मदहोश थी,  मैं बहुत बेशरम था।

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