असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

मानता हूँ की चूड़ियों में खनक बहुत थी।


 मानता हूँ की चूड़ियों में खनक बहुत थी

उलझी  हुयी  जुल्फों  में महक बहुत थी

छोड़  न  देता  उसे  तो  करता  भी क्या

पढ़ने की  तब  मुझमें  सनक  बहुत  थी।


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