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Showing posts from December, 2020
तो कोई बात हो।
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में पुकारूं आपको ओर आप मिलने चले आओ तो कोई बात हो। अधूरे ख्वाब में भी गर आप मुक्कमल हो जाओ तो कोई बात हो। सूखी दरिया में दो बूंद प्यार के डाल जाओ तो कोई बात हो। बेचैन बाहों को भी कभी पनाह दिलाओ तो कोई बात हो। सिसकती आंखों को भी कभी इक झलक दिखाओ तो कोई बात हो। जिस्म को चाह कर भी तुम रूह में उतर जाओ तो कोई बात हो। जवानी का बूढ़ा खत हूँ मैं तुम पढ़ के मुस्कुराओ तो कोई बात हो। भागता फिरता हूँ तेरे पीछे कभी तुम भी मुड़ जाओ तो कोई बात हो।
कोशिश-ए-अहसास।
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ये हवा तू उसके पास जाना जुल्फों को उसके ज़रा सहलाना आंखों में इक फूंक लगाकर मेरे होने का अहसास कराना। ये खुशबू तू भी उसके पास जाना सांसों में उसके ज़रा घुल जाना कैद कर लाना साथ अपने उसकी महक का अहसास कराना। ये काज़ल उसके पास जाना बनकर सुरमा आंखों में लग जाना ज़रा सा साथ अपने ले आना मेरी आँखों में उसकी छवि दे जाना रामानुज "दरिया"
जिंदगी - ए- राह में क्या - क्या नहीं देखा।
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जिंदगी - ए- राह में क्या - क्या नहीं देखा रोती खुशियां और विलखते गम देखा। यूं तो बहारों का मौसम खूब रहा मगर अपने हिस्से में इसका असर कम देखा। छोड़ रही थी स्याह, साथ कलम की तभी किस्मत को वहां से गुजरते देखा। हवा की तरह उनको गुजरते देखा फिर उम्मीदों को अपने बिखरते देखा। लत लगी थी साहब तो लगी ही रह गयी हमने खामोशियों को दिल में उतरते देखा।
गर देखना ही है तो अपने आप को देखिये।
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दुखती हथेलियों से जिंदगी के ताप देखिये गर देखना ही है तो अपने आप को देखिये। कोई आयेगा नहीं हिस्से का अंधेरा मिटाने उठाइये चरागों को और उसका ताप देखिये। ज़रूरत नहीं किसी के पैरों में गिड़गिड़ाने की उठाइये कदम और मंज़िल तक की नाप देखिये। ये दुनिया तुम्हें हंसीन सपनों जैसी दिखायी देगी बस एक बार बदलकर खुद अपने आप देखिये। इस दौर में गली गली नुमाइशें करती फिरती है यकीं नहीं होता, आप द्रोपदी का श्राप देखिये। असुरों के संगत में बनकर देवता रह सकते हो बस दृढ़ संकल्प के साथ ध्रुव का जाप देखिये। गधे और घोड़े में फ़र्क दिख जायेगा तुम्हें...
फ़ना उसी दिन मुझे मेरे खुदा कर देना।
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उसके ख्वाबों से एक दिन जुदा कर देना फ़ना उसी दिन मुझे मेरे खुदा कर देना। ख़्याल रहे कि उसकी परछाईं भी न पड़े दरिया खुद को इतना जुदा कर देना। झोपड़ी महलों से भी सुंदर लगने लगे मोहब्बत कुछ ऐसी ही अता कर देना। तुम्हें चाहे न चाहे दरिया उसकी मरज़ी मग़र दिल अपना उसी पर फ़िदा कर देना। महसूस हो कि प्रेमिका भी साथ नहीं देगी फिर ख़ुद को भी तुम शादी शुदा कर देना।