आप जो दिल में हिल गये।

 


पुर्जे पुर्जे शरीर के हिल गये

आप जो हमसे मिल गये।


कुछ अमीरी सी आ गयी है

आप जो दिल में हिल गये।


आंखें अब बात करती हैं

ओंठ जब से सिल गये ।


प्रयास बर्बादी का ही है

जो सत्ता विपक्ष मिल गये ।


मिटाने की अब साज़िस है

मंत्री और दरबारी मिल गये।


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