असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

बता तेरी कौन हूँ मैं।


 रगों में बहने वाले, लवों से पूछते हैं

बता तेरी कौन हूँ मैं

सुनकर तेरे सवालों को होता जा रहा 

अब तो मौन हूँ मैं।

ओ वक्त भी क्या वक्त था जब मैं उसका था

अब तो रह गया पौन हूँ मैं।

रंग भरकर जिंदगी बे रंग करने वाले

देख अब भी जॉन हूँ मैं।

लेकर भूल जाने का हुनर तुझमें है

बेवक्त सताऊंगा, बैंक का लोन हूँ मैं।

कितनी मिन्नतें की थी तुझे पाने के खातिर

आज भी किया हौंन हूँ मैं।


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