असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

जलने दो चरागों को बुझाने से फायदा क्या है।


 सूरज न सही, हिस्से का अंधेरा तो मिटाएगा
जलने दो चरागों को बुझाने से फायदा क्या है।

महफूज़ है इश्क़ ताजमहल की संगमरमरी बाहों में
फिर  रहने  दो, उसे  गिराने  से  फायदा  क्या  है।

जब  आंखों  में  समाया  है  ये  बेदाग़ बदन मेरा
फिर   रूह  में  उतर  जाने  से  फायदा  क्या  है।

उड़ान  भर  ली  है  जिसने, उसे  उड़  जाने दो
बार    बार   गिराने    से    फायदा    क्या   है।

सज्जनता  अपनी   परवरिश   खुद  करती  है
उसे   खोफ   दिखाने    से   फायदा   क्या  है।

गिर चुका है ओ लोभ की असीमित गहराई में
गिरी  हुयी  चीज़ को उठाने से फायदा क्या है।

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