किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

जलने दो चरागों को बुझाने से फायदा क्या है।


 सूरज न सही, हिस्से का अंधेरा तो मिटाएगा
जलने दो चरागों को बुझाने से फायदा क्या है।

महफूज़ है इश्क़ ताजमहल की संगमरमरी बाहों में
फिर  रहने  दो, उसे  गिराने  से  फायदा  क्या  है।

जब  आंखों  में  समाया  है  ये  बेदाग़ बदन मेरा
फिर   रूह  में  उतर  जाने  से  फायदा  क्या  है।

उड़ान  भर  ली  है  जिसने, उसे  उड़  जाने दो
बार    बार   गिराने    से    फायदा    क्या   है।

सज्जनता  अपनी   परवरिश   खुद  करती  है
उसे   खोफ   दिखाने    से   फायदा   क्या  है।

गिर चुका है ओ लोभ की असीमित गहराई में
गिरी  हुयी  चीज़ को उठाने से फायदा क्या है।

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