असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

जहां कल था वहीं आज हूँ।


 जहां कल था वहीं आज हूँ

मैं  ही  रस्म-ओ-रिवाज़  हूँ। 


लड़की  की  आबरू हूँ  मैं

और मनचलों पर गाज  हूँ। 


बुर्का  और   घूंघट  भी  हूँ

मैं  ही  जलता  समाज  हूँ। 


मैं  मोहब्बत  और ताज हूं

मोहब्बत  को मोहताज़ हूँ।


 फसल   और   किसान  हूँ

मैं  ही  गांव  का अनाज हूँ।

संस्कारों    का   गिद्ध    हूँ
जिम्मेदारियों  का  बाज हूँ।

बसपा   का   प्रशासन   हूँ
मैं  सपा  का  गुंडा  राज हूँ।

कर्मों   का    योगी   हूँ   मैं
अयोध्या  का  राम राज हूँ।

सपनों    का     सूरज    हूँ
मैं  ही   डूबता   जहाज़  हूँ।

खामोशी   का   समंदर   हूँ
मैं   वक्ता   चाल   बाज  हूँ।






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