टूटना और फिर बिखर जाना।

टूटना और फिर बिखर जाना
नीयती का है सब ताना बाना

एक चेहरे पे नजरों का ठहर जाना
आसां नहीं दिल का बच्चा हो जाना

ये कोई मदारी का खेल नहीं प्यारे
मोहब्बत करना और फना हो जाना


 

 

Comments

Popular posts from this blog

किसी का टाइम पास मत बना देना।

तेरे बिन जिंदगी बसर कैसे हो।

उनका भी इक ख्वाब हैं।