असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

टूटना और फिर बिखर जाना।

टूटना और फिर बिखर जाना
नीयती का है सब ताना बाना

एक चेहरे पे नजरों का ठहर जाना
आसां नहीं दिल का बच्चा हो जाना

ये कोई मदारी का खेल नहीं प्यारे
मोहब्बत करना और फना हो जाना


 

 

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