असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

हुस्न और इश्क़ मिटटी तले गाड़ दी हमने।

हुस्न और इश्क़ मिटटी तले गाड़ दी हमने
बिन तेरे जीने की आदत डाल ली हमने।

मचलते हुऐ फूलों से, मेरा कोई वास्ता नहीं 
कांटों संग जिंदगी जीने की ठान ली हमने।

तुम दिन को अगर रात कहोगी रात कहेंगे हम
इस पागलपन से थोड़ी सी निज़ात ली हमने।

जिंदगी मिली थी मुझे खुदा के रहम ओ करम से
तेरे नफ़रती अंदाज से उसे भी काट ली हमने।

एक दो तीन ............. सात जनम का वादा
छि:, इसी जनम में खड़ी कर ली खाट हमने।

फिर लिखेंगे कभी की जिंदगी क्या होती है
अभी तो कलम की स्याह ही चाट ली हमने।




 

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