असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा

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असत्य पर सत्य तो जीत ही जाएगा मगर सत्य में असत्य को कब मिटाओगे  तन का रावण तो जल ही जाएगा मगर मन के रावण को कब तुम जलाओगे। तिनका रक्षा मां की करे कब तलक खुद को राक्षसों से कब तक बचायेंगी  या तो भेजो तुम अपने हनुमान को या बताओ धनुष धारी तुम कब आओगे   

मन भरा भरा स लगता है।


 जब से तुम गये हो दरिया

मन भरा भरा स लगता है


अंदर तो रेगिस्तान ही है

बाहर हरा भरा स लगता है।


ऐसा नही की आओगे नहीं

तुम लौट कर ए  दरिया

पर न जाने क्यूं ये मन

अब डरा डरा स लगता है।


"दरिया"

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