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Showing posts from August, 2020
जिंदगी का बोझ अब मुझसे ढोया नही जाता |
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जिंदगी का बोझ अब मुझसे ढोया नही जाता सूख चुके आंशु की अब रोया नही जाता | उतर गया भूत सर से मेरे अपनों का भी कि अपनों के लिए बीज बोया नही जाता | जिंदगी का अरमान तो सिर्फ तोड़ती पत्थर है मार कर खुद को खुद से अब रोया नहीं जाता | कीचड़ ही कीचड़ हो जहाँ कमल खिला करते थे जरुरत से ज्यादा खुद को डुबोया नही जाता | मिट चुकी लकीरें हाथों से किस्मत की कोरोना कि बार - बार हाथों को मुझसे धोया नहीं जाता | वादा था एक उम्र साथ निभाने का इतना जल्दी मुझसे किसी को खोया नहीं जाता | गर लायक है जिंदगी जीने की तो जियो दरिया हर किसी के कंधे पे सर रख के रोया नहीं जाता | गर तुम्हारी है तो तुम्हारी होकर ही रहेगी हर दर को आंशुओं से भिगोया नहीं जाता | “दरिया”
न कभी हम मिल पायेंगे।
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न दाग दामन में लगने पायेंगे भले जान जिस्म से चले जायेंगे न कभी हम मिल पायेंगे। नयन बस नीर बहायेंगे नज़र नजर को तरस जायेंगे न कभी हम मिल पायेंगे। इरादे सारे बदल जायेंगे वादे सब भूल जायेंगे। न कभी हम मिल पायेंगे। नकाब चेहरे पर आयेंगे हम इतने फरेबी हो जायेंगे। न कभी हम मिल पायेंगे। वादे रात को करके आयेंगे सुबह घोल चाय में पी जायेंगे न कभी हम मिल पायेंगे। त्योहार सपनों में आयेंगे हम अपनों के लिए गिड़गिड़ाएंगे न कभी हम मिल पायेंगे।
ओ भी गुजर गयी पास से।
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आस जगी थी इक खास से ओ भी गुजर गयी पास से। जो भी आया सांत्वना दे गया न रूबरू हुआ मेरे अहसास से। भले न चल सके दो कदम साथ पर मिली थी अंदाज़-ए-झकास से। अभी चंद बातें ही तो हुयी थी उससे चला गया मैं अपने होशोहवास से। कल चाँद भी शर्मा गया शाम को छत पर गयी थी ,अंदाज़-ए-खास से। उसके सिवा न अब कोई दिल मे आये धड़कनों में मिल जाये मेरी सांस से। तब भी खाली था और आज भी हो गये दिल-ए-अहसास बक़वास से।
मन मीत मिल जाये।
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सावन झूम कर आये रातें भी गीत सुनायें मन मीत मिल जाये। कोयल भी कूक लगाये जीवन आनंदित हो जाये मन मीत मिल जाये। तकलीफें भी तरस जाये खुशियां जीत जायें मन मीत मिल जाये। पुष्प राहें सजायें चाँद गले लग जाये मन मीत मिल जाये। बदन भी दमक जाये चमक आंखों में आये मन मीत मिल जाये। पर ख्वाबों में लग जाये बल होंसले को मिल जाये मन मीत मिल जाये। मंज़िल भी राह निहारे राहें मंज़िल हो जायें मन मीत मिल जाये। बिंदिया चूड़ी कंगन मिल कर सेज़ सजायें मन मीत मिल जाये।
बस भाव बदल गये हैं।
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ओ बातें अब नहीं होती न प्लीज़ प्लीज़ न सॉरी न ऑनलाइन होने की चिंता न गुड नाईट की बारी न लफड़े न झगड़े न दोस्ती न यारी। रह गयी तो बस उदास जिंदगी और समझदारी न मॉर्निंग वॉक पे आना न घंटों बतियाना न चिढ़ना न चिढ़ाना बस पैसे की बात और तनख्वाह सारी। रिस्ते भी वही हैं बस भाव बदल गये हैं पहले बातों बातों जितना भाव खाते थे उतना तो सुबह उठ कर अब कुल्ला करते हैं बचपन छूट गया पड़ गयी जवानी भारी। "दरिया"
क्यूँ ख़्वाब को ख्वाब रहने दिया जाये।
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एक हौंसला और 'पर' को दिया जाये क्यूँ ख़्वाब को ख्वाब रहने दिया जाये। रूख हवा का भी मोड़ सकती हो तुम यूं जुल्फों को जो खुला रहने दिया जाये। ठान लो, की ऊंचाइयां कमतर दिखेंगी क्यू न सीढियां एक एक कर चढ़ा जाये। तमाम उम्र निकल ही जाती है सोंचने में क्यू न इसे कल पर छोड़ दिया जाये। यकीं मानो चाँद राहें निहारेगा आपकी क्यूं न तारों को आज समेट लिया जाये। थक गये हो गर अपनों के लिये जीते-जीते क्यूं न एक बार अपने लिये जिया जाये। गर तसल्ली नहीं मिलती अपने कर्मों से क्यूं न इक बार राहें बदल लिया जाये। "दरिया"
रह पाये कौन।
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मुश्किलों का बाजार इतना गरम हो वहसी दुनिया में खुश रह पाये कौन। सिस्टम ही भ्रष्टाचार की देन हो ईमानदार बनकर रह पाये कौन लगी हो लत नशे की गर "दरिया" जली सिगरेट फिर बुझाये कौन। परिणाम गर भयावह हो इश्क का फिर नयना से नयन लड़ाये कौन। हर लें हर बाधाओं को हरि भी पर इतना जल उन्हें चढ़ाये कौन। स्वार्थी होने का अपना अलग मजा है तुझे निःस्वार्थ अब दूध पिलाये कौन। खामोशी भी कांप जाती है मेरी सन्नाटे से यहां उबर पाये कौन। दिल लगाना भी तो गुनाह है जनाब यही बात तुझे बार - बार बताये कौन। तेरा आना और जाना दोंनो समान हो फिर साथ रह कर स्वांग रचाये कौन। मालूम हो तेरी चंचलता भरी हैवानियत स्वर्ग सी जिंदगी जहन्नुम बनाये कौन। जी चाहता है कि सिरहने सर रख दूं वक्त को इतना जाया कर पाये कौन। जरूरत नहीं तुझे मेरी तो कोई बात नि हर बार अपना होने का अहसास कराये कौन।