Posts
Showing posts from November, 2020
गर इज़ाज़त लेनी पड़े दरिया।
- Get link
- X
- Other Apps
गर हवाओं से इज़ाज़त लेनी पड़े सम्माओं को जलाने के लिये ताक पर रख दो जज़्बात अपने रखो अहसासों को भी आग में जलाने के लिए गर इज़ाज़त लेनी पड़े दरिया ख्वाबों में भी आने के लिये सुलगा दो ये जिस्म भी अपना उसकी यादों को जलाने के लिये। गर इज़ाज़त लेनी पड़े दरिया उसे मिलने बुलाने के लिये तप्त कर दो धरा को भरपूर जमीं से परिंदों को उड़ाने के लिये। गर इज़ाज़त लेनी पड़े दरिया उनसे बातें करने के लिये जला कर राख कर दो उस पल को जिसमे ख्याल आया हाले दिल सुनाने के लिये। गर इज़ाज़त लेनी पड़े दरिया हुस्न -ए- दीदार करने के लिये बहा दो आँशुओं की दरिया हुस्न को भी बहाने के लिये। गर इज़ाज़त लेनी पड़े दरिया को कस्तियां डुबाने के लिये तू रेत का ढेर हो जा दरिया तरसे मल्लाह कस्तियां तैराने के लिये।
कुंठित मानसिकता।
- Get link
- X
- Other Apps
मेरी सोंच उस आधुनिकता की भेंट नहीं चढ़ना चाहती थी जिसमें एक लड़की के बहुत से बॉयफ्रेंड हुआ करते हैं और ओ जब जिससे चाहे उससे बात करे , जहां जिसके साथ चाहे घूमे टहले , ओ आधी रात को आये या दोपहर को , मैं आशिक हूँ तो आशिक की तरह रहूं, उसे रोकने टोकने का मुझे कोई अधिकार न रहे। अगर इसे आधुनिकता और आधुनिकता में छुपी अय्यासी को ही आज़ादी कहते हैं तो मुझे सख़्त नफ़रत है उस आज़ादी से और उसका अनुसरण करने वाले आज़ाद पंछी से। इतने दिन बाद भी कोई दिन नहीं बीतता जो उसकी यादों के बगैर गुजर जाये क्योंकि मैंने उसे चाहा है दिल की अटूट गहराई से , जिस्म की आंच से भी उसे बचा के रखा है।नफ़रतों के साये तक न पड़ने दिया है उस पर।जिंदगी की एक अनमोल धरोहर की तरह मैने उसे छुपा के रखा है उसे अपने दिल के किसी कोने में जहां सिर्फ और सिर्फ ओ रहती है उसके सिवा कोई नहीं। अपने रिस्ते के धागे और उसके अदाओं की मोती की जो प्रेम रूपी माला बनाई है उसकी इकलौती वारिस और मालिकाना हक भी सिर्फ वही रखती है। निरंतर बहते नदी की धारा की तरह एक प्रेम का प्रवाह दूंगा उसे मैं। भले इसके लिए मुझे कितना भी कुंठित क्यों न होना पड़े। हां हां...
इश्क़ में वापसी का कोई रास्ता नहीं होता।
- Get link
- X
- Other Apps
झलक देख कर फ़लक तक जाने वालों इश्क़ में वापसी का कोई रास्ता नहीं होता होकर आओ कभी वैश्याओं की गलियों से वहां भोजन मिलता है कभी नास्ता नहीं होता। ख़्वाब मुकम्मल होते हैं तक़दीर की गहराइयों से सिर्फ हथेलियां घिसने से सौदा सस्ता नहीं होता। कसम है गर तुम्हें एक बार भी मैं रोकूं मरते इश्क़ से मेरा कोई वास्ता नहीं होता। गर समझती तुम गिड़गिड़ाहट मेरी भी सनम हमारे दरमियां इतना बड़ा हादसा नहीं होता।
कहां लिखा है।
- Get link
- X
- Other Apps
बिछड़ कर तुमसे तेरा होना कहां लिखा है मेरी किस्मत में अब सोना कहां लिखा है। चाहो तो गलियां मेरी भी रोशन हो जाये खुदा वरना अंधेरे को उजाले का होना कहां लिखा है। कही थी बगैर मेरे मर तो नहीं जाओगे मेरी हालात पर तुम्हें अब रोना कहां लिखा है। मोती की तरह जो आज बह रहे हो अश्क़ मेरी आँखों का तेरा अब होना कहां लिखा है।
कभी तो याद मुझे भी करोगी।
- Get link
- X
- Other Apps
कभी तो याद मुझे भी करोगी देखूंगा फिर कैसे तुम रहोगी। समझता हूँ कि जान हो मेरी कभी तो मुझे आप समझोगी समझोगी जान जिस दिन मुझे देखूंगा कैसे जान के बगैर रहोगी। लत तुम्हारी है जो मुझको सनम आज दर- ब- दर मैं भटकता हूँ हो जाएगी जिस दिन लत हमारी देखूंगा जितनी सयंमित रहोगी। मज़बूर हूँ आज अपने दिल की बेवजह सूनसान चाहतों से सनम एक बार इश्क़ तुम्हे भी हो जाये देखूंगा कैसे महबूब के बगैर रहोगी।
डिजिटल लव (Digital Love)
- Get link
- X
- Other Apps
न चेक करो इतनी डीपी मेरी वर्ना प्रोफाइल लॉक कर देंगे। गर करते रहे यूं ही मैसेज तुम तो तुम्हें भी हम ब्लॉक कर देंगे। मालूम है कि आप शादी शुदा हो आते समय दरवाज़ा नॉक कर देंगे। मोहब्बत तो आप सूरत से किये हो सीरत से हम आपको शॉक कर देंगे। पता तो चल गया है पता तुम्हारा तेरी गलियों में हम वॉक कर लेंगे। मिल गयी तुम तो मेरी किस्मत है वरना वहीं हम डांस फॉक कर लेंगे।
आ बैठ जिंदगी ।
- Get link
- X
- Other Apps
आ बैठ जिंदगी तुझसे बंटवारा कर लेते हैं आधी काट दी, आधी से किनारा कर लेते हैं। मुक़म्मल एक भी ख्वाब न होने दिया तूने अब खुद को हम बेसहारा कर लेते हैं। जितना भी गम उठाया है जिंदगी मेरे लिये आ सब का हिंसाब हम दुबारा कर लेते हैं। मौत से भी भयावह किरदार तेरा है जिंदगी छोड़ तक़रार अब मेरा को हमारा कर लेते हैं।
जो जख्म तूने दिया ।
- Get link
- X
- Other Apps
और किस क़दर मैं तेरा साथ दूं कहो, कैसे मैं जिंदगी काट दूं। ये हालत मेरी उसी ने बनायी है अब इल्ज़ाम मैं किसके माथ दूं। जो जख्म तूने दिया है सनम अब उसे मैं कहां कहां बांट दूं। मेरी खामोशियों का शोर हो तुम उन यादों को मैं कहां पाट दूं। न देखा था खुशबू-ए-ज़हर हमने तेरे दीदार को कौन सा नाम दूं। जब ठहराओ नही तुझमे दरिया बहने के सिवा कौन सा काम दूं। छुड़ा कर हाथ जब तुम चली गयी अब किसे मैं मोहब्बत का हाथ दूं। रख लो मेरे हिस्से की खुशियां सारी प्रेम से ज्यादा गम का कौन सा पाथ दूं।
मशविरा मत देना।
- Get link
- X
- Other Apps
इश्क कोई दूसरा मत देना जीने का मशविरा मत देना। छीन कर मेरी खुशियां सारी खुश रहने का मशविरा मत देना। वक्त था साथ चलने का नजरंदाज कर दिया आपने गम-ए- हालात देखकर मुझे साथ चलने का मशविरा मत देना। हो सके तो छीन लो सांसें हमारी झूठे वादों का जकीरा मत देना। मानता हूं कि मुश्किल है डगर पनघट की मुझे रास्ते बदलने का मशविरा मत देना। गर गुम हो जाऊं तेरी बाहों में ए हुस्न मुझे उठने का फिर मशविरा मत देना।
मेरे गांव को तूने शहर कर दिया।
- Get link
- X
- Other Apps
रिश्तों में कैसा जहर भर दिया मेरे गांव को तूने शहर कर दिया चाँद - ए - दीदार को मैं आतुर था वक्त ने फिर से दोपहर कर दिया। पसीने छूट रहे हैं बदल के भी जुल्फों ने ऐसा कहर कर दिया। आँवांरगी का मज़ा ही अलग है ख़्वावों ने रेत का शहर कर दिया। सरफिरे शायरों का रहमों करम है जो गुलाबी ओंठ को नहर कर दिया। रोंक क्या सकेंगी ज़माने की बंदिशें भले पहरा सातों पहर कर दिया।
दूसरा आखिरी पन्ना।(Second Last Page)
- Get link
- X
- Other Apps
अब बात नहीं होती, न ही fb पर रात - रात भर चैट होती है। काफी दिन गुजर जाता है, न ही कोई मैसेज न ही कोई call। सब बन्द पड़ा है अगर एक तरफ से hello आ भी जाता है तो दूसरी तरफ से रिप्लाई नहीं आएगा। ऐसा नहीं कि दोंनो तरफ से प्यार दफन हो गया है लेकिन हाँ दफनाने का प्रयास भरपूर किया गया है। अगर वक्त और हालात ने साथ दिया तो ओ पूर्णतया दफन भी हो जयेगा। चलो ये भी अच्छा है। लेटे - लेटे आशु सोंच रहा था कि देखो कैसे सारी रात गुजर जाती थी बातों - बातों में और पता भी नही चलता और वही रात लगता है की कितनी भारी हो गयी। जब प्यार में थे तो कैसे - कैसे रहते थे । मज़ाल था कि बिना प्रेस किये कपड़ा पहन कर office चले जायें, बिना पॉलिश के किये सूज़ पैर में डाल लें, वही दर्पण बार - बार देखा जाता था। वही फ़ोन जो हाथों से एक पल के लिये भी दूर नहीं होता था। उसके साथ - साथ जिंदगी के सारे तौर - तरीके बदल गये। कैसे लाइफ में इश्क के साथ परिवर्तन होता है। तब और अब में कितना फ़र्क हो गया है । अब तो जैसे भी मिल गया पहन लिया, जो भी मिल गया खा लिया, क्या पसंद क्या न पसंद, क्या प्रेस क्या न प्रेस कौन देखने वाला है ...