अब बात नहीं होती, न ही fb पर रात - रात भर चैट होती है। काफी दिन गुजर जाता है, न ही कोई मैसेज न ही कोई call। सब बन्द पड़ा है अगर एक तरफ से hello आ भी जाता है तो दूसरी तरफ से रिप्लाई नहीं आएगा। ऐसा नहीं कि दोंनो तरफ से प्यार दफन हो गया है लेकिन हाँ दफनाने का प्रयास भरपूर किया गया है। अगर वक्त और हालात ने साथ दिया तो ओ पूर्णतया दफन भी हो जयेगा। चलो ये भी अच्छा है। लेटे - लेटे आशु सोंच रहा था कि देखो कैसे सारी रात गुजर जाती थी बातों - बातों में और पता भी नही चलता और वही रात लगता है की कितनी भारी हो गयी। जब प्यार में थे तो कैसे - कैसे रहते थे । मज़ाल था कि बिना प्रेस किये कपड़ा पहन कर office चले जायें, बिना पॉलिश के किये सूज़ पैर में डाल लें, वही दर्पण बार - बार देखा जाता था। वही फ़ोन जो हाथों से एक पल के लिये भी दूर नहीं होता था। उसके साथ - साथ जिंदगी के सारे तौर - तरीके बदल गये। कैसे लाइफ में इश्क के साथ परिवर्तन होता है। तब और अब में कितना फ़र्क हो गया है । अब तो जैसे भी मिल गया पहन लिया, जो भी मिल गया खा लिया, क्या पसंद क्या न पसंद, क्या प्रेस क्या न प्रेस कौन देखने वाला है ...